गढ़वा में 5 नई योजनाओं का उद्घाटन, मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने दी बड़ी खुशखबरी

गढ़वा में 'नीली क्रांति' का आगाज: 5 बड़ी मत्स्य परियोजनाओं की सौगात, हजारों युवाओं को मिलेगा रोजगार

Garhwa/Ranchi: झारखंड का गढ़वा जिला (Garhwa District) अब विकास की नई इबारत लिखने को तैयार है। जिले के निवासियों के लिए क्रिसमस और आने वाले नए साल का जश्न दोगुना हो गया है। राज्य सरकार द्वारा जिले में पांच प्रमुख मत्स्य पालन परियोजनाओं (Five Major Fisheries Projects) का शुभारंभ किया गया है।

इन परियोजनाओं के शुरू होने से न केवल स्थानीय स्तर पर मछली उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि हजारों बेरोजगार युवाओं और किसानों के लिए आमदनी के नए रास्ते भी खुलेंगे। इसे क्षेत्र में 'नीली क्रांति' (Blue Revolution) की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

मुख्य बिंदु: इन परियोजनाओं का उद्देश्य झारखंड को मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना और दूसरे राज्यों (जैसे आंध्र प्रदेश और बंगाल) पर निर्भरता कम करना है।

क्या हैं ये 5 नई परियोजनाएं?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन परियोजनाओं में मछली पालन की आधुनिक तकनीकों और बुनियादी ढांचे (Infrastructure) को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। इनमें शामिल हैं:

  • आधुनिक फिश फीड प्लांट (Fish Feed Plant): अब किसानों को मछली का चारा बाहर से नहीं मंगवाना पड़ेगा।
  • मत्स्य बीज उत्पादन केंद्र (Hatchery): अच्छी गुणवत्ता वाले मछली के बीज जिले में ही उपलब्ध होंगे।
  • बायोफ्लॉक फार्मिंग यूनिट्स (Biofloc Units): कम पानी और कम जगह में मछली पालन की आधुनिक तकनीक।
  • प्रशिक्षण केंद्र (Training Centre): स्थानीय युवाओं को मछली पालन की वैज्ञानिक ट्रेनिंग दी जाएगी।
  • कोल्ड स्टोरेज सुविधा: मछलियों को लंबे समय तक ताज़ा रखने के लिए भंडारण की व्यवस्था।

मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने क्या कहा?

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री और स्थानीय विधायक मिथिलेश कुमार ठाकुर ने इन परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह गढ़वा के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

"हमारा लक्ष्य गढ़वा को सिर्फ एक जिला नहीं, बल्कि एक 'उत्पादक हब' बनाना है। पहले हमें मछली और चारे के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन अब गढ़वा अपने पैरों पर खड़ा होगा। इससे पलायन रुकेगा और स्थानीय युवाओं को अपने घर में ही रोजगार मिलेगा।"
- मिथिलेश कुमार ठाकुर, मंत्री, झारखंड सरकार

स्थानीय लोगों में उत्साह की लहर

इन परियोजनाओं की घोषणा और शिलान्यास से स्थानीय मछुआरा समुदाय और किसानों में भारी उत्साह है। रंका और मेराल प्रखंड के कई किसानों का कहना है कि अब उन्हें मछली के बीज और दाना खरीदने के लिए महंगे दामों पर बाहर नहीं जाना होगा।

मत्स्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इन योजनाओं से जिले में मछली उत्पादन में 25% से 30% तक की वृद्धि होने का अनुमान है। यह परियोजनाएं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) और राज्य सरकार की योजनाओं के तालमेल से चलाई जाएंगी।

झारखंड में मत्स्य पालन का बढ़ता ग्राफ

गौरतलब है कि झारखंड सरकार पिछले कुछ वर्षों से मत्स्य पालन पर विशेष जोर दे रही है। केज कल्चर (Cage Culture) और जलाशयों में मछली पालन के जरिए राज्य अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। झारखंड मत्स्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में मछली की खपत और उत्पादन के बीच का अंतर तेजी से कम हो रहा है।

गढ़वा की ये 5 परियोजनाएं न केवल जिले की अर्थव्यवस्था को सुधारेंगी, बल्कि कुपोषण से लड़ने में भी अहम भूमिका निभाएंगी, क्योंकि मछली प्रोटीन का एक सस्ता और अच्छा स्रोत है।

Source Credit: यह समाचार 'Social News XYZ' की रिपोर्ट पर आधारित है। विस्तृत जानकारी के लिए आप मूल खबर पढ़ सकते हैं।
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