High Court का सवाल: जब आरोपी पहले से जेल में है, तो Crime Control Act क्यों? Palamu के हिंदू नेता की हिरासत पर सरकार तलब।
Jharkhand High Court Questions Govt: "जब आरोपी पहले से जेल में है, तो उस पर CCA लगाने का क्या औचित्य?"
Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य सरकार से एक अहम सवाल पूछा है जिसने प्रशासनिक और पुलिस महकमे में हलचल बढ़ा दी है। मामला पलामू के एक हिंदू धार्मिक नेता, त्रिभुवन तिवारी (Tribhuvan Tiwari) से जुड़ा है, जिन पर जेल में रहते हुए भी राज्य सरकार ने Crime Control Act (CCA) लगा दिया है।
अदालत ने सरकार से पूछा है कि "एक व्यक्ति जो पहले से ही न्यायिक हिरासत (Judicial Custody) में है, उसे सीसीए के तहत हिरासत में लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है?"
क्या है पूरा मामला? (The Incident)
त्रिभुवन तिवारी, जो कि 'हिंदू धर्म रक्षा समिति' के अध्यक्ष हैं, पलामू जिले के पांकी (Panki) क्षेत्र के रहने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर महीने में मूर्ति विसर्जन और एक धार्मिक झंडे को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया था। इस दौरान हुई हिंसा और झड़प के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए त्रिभुवन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया था।
तब से वे न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। लेकिन हैरानी की बात तब हुई जब जेल में रहने के दौरान ही, दिसंबर महीने में जिला प्रशासन की अनुशंसा पर उन पर Crime Control Act (CCA) भी लगा दिया गया।
कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं? (Courtroom Drama)
त्रिभुवन तिवारी की ओर से दायर याचिका (Writ Petition) पर सुनवाई करते हुए उनके वकील ने अदालत के सामने यह तर्क रखा:
- याचिकाकर्ता अक्टूबर से ही जेल में बंद हैं।
- CCA का इस्तेमाल आमतौर पर किसी व्यक्ति को अपराध करने से रोकने के लिए (Preventive Detention) किया जाता है, जब वह बाहर हो।
- जब व्यक्ति पहले से ही जेल की चारदीवारी में है, तो वह समाज के लिए खतरा कैसे हो सकता है?
- दिसंबर में पास किया गया CCA का आदेश कानूनन सही नहीं है।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी (High Court's Observation)
हाईकोर्ट की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति जेल में है, तो उस पर सीसीए लगाने के लिए बहुत ठोस आधार (Grounds) होने चाहिए। केवल यांत्रिक तरीके (Mechanically) से किसी पर सीसीए नहीं लगाया जा सकता।
अदालत ने राज्य के गृह सचिव और संबंधित अधिकारियों से यह स्पष्ट करने को कहा है कि किन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया। अब राज्य सरकार को अगली सुनवाई में यह साबित करना होगा कि जेल में बंद होने के बावजूद त्रिभुवन तिवारी पर सीसीए लगाना क्यों जरूरी था।
क्या होता है CCA?
Jharkhand Crime Control Act एक सख्त कानून है। इसके तहत प्रशासन किसी भी व्यक्ति को बिना किसी अपराध के भी सिर्फ 'शंका' के आधार पर हिरासत में ले सकता है, ताकि वह भविष्य में कोई अपराध न करे या कानून व्यवस्था (Law and Order) न बिगाड़े। लेकिन इसका उपयोग जेल में बंद कैदियों पर तभी किया जाता है जब उनके जल्द जमानत पर बाहर आने की संभावना हो और बाहर आकर वे फिर से अपराध कर सकते हों।
फिलहाल, 6 जनवरी 2024 को होने वाली अगली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हैं।
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Source Credit: Hindustan Times. This article is curated for Giridih Darpan readers.
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